आज के आधुनिक जीवन में गुर्दे की पथरी एक आम समस्या बनती जा रही है, जो हमारी जीवनशैली सेजुडी अनियमित्ताओं के कारण उत्पन्नं हो रही है जैसे शरीर की जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्र में पानीका सेवन नहीं करना।
हमारे गुर्दे रक्त में उपस्थित अपशिष्ट पदार्थ जैसे कैल्शियम, ऑक्सालेट, सोडियम, फास्फोरस आदिऔर अतिरिक्त जल को फ़िल्टर कर मूत्र के रूप में शरीर से बहार निकालने का कार्य करते हैं। अपशिष्टपदार्थ मूत्र में क्रिस्टल्स या बहुत छोटे कणों के रूप में उपस्थित रहते हैं जो मूत्र के साथ आसानी से शरीरसे बाहर हो जातें है, लेकिन जब शरीर में जल की मात्रा कम हो जाती है तो मूत्र की मात्रा भी कम हो जातीहै और रंग भी गाढ़ा पीला होजाता है। मूत्र का गाढ़ा पीला रंग इस बात का प्रमाण है की मूत्र में अपशिष्टपदार्थ का स्तर बहुत बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में मूत्रवह संस्थान में कहीं भी इन अपशिष्ट पदार्थों कीसतह बनने लगती हैं जो आगे चल कर पथरी में परिवर्तित हो जाती है। अरुण आयुर्वेद के चिकित्सकों केअनुसार आयुर्वेदिक औषधियों और कुछ खानपान सम्बंधित सावधानियों से पथरी को शरीर से बाहरसम्पूर्ण रूप से निकला जा है। चिकित्सको के अनुसार अगर हम पानी का अधिकाधिक मात्रा में सेवन करेंतो मूत्र में अपशिष्ट पदार्थों का स्तर संतुलित रहता है और पथरी बनने की सम्भावना भी कम हो जाती है।
अगर आपको गुर्दे की पथरी है तो खान-पान में विशेष परहेज करें और प्रतिदिन 3 से 5 लीटर पानी पीनेका नियम बनायें| इसके साथ ही साथ आप नीचे बताये गए कुछ प्राकृतिक उपायों का प्रयोग कर पथरी कोपूर्णतः शरीर से बहार करने में सफलता प्राप्त कर सकते हैं या अरुण आयुर्वेदा चिकित्सकों द्वारा सलाहलेकर आयुर्वेदिक दवाइयों का सेवन करें।
1. गोखरू काढ़ा
20 ग्राम गोखरू को 200 ml पानी में तबतक पकाएं जबतक की पानी जलकर आधा न रह जाये। जबपानी उबल कर आधा हो जाये, उसे ठंडा करके पी लें। गोखरू के सेवन न सिर्फ पथरी घुलकर बहार निकलजाती है, बल्कि मूत्र भी खुलकर साफ़ आता है।
2. आम्र पत्र चूर्ण
आम के पत्तों को छांव में सुखाएं और बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। रोज़ाना 1 - 1 चम्मच चूर्ण हलकेगुनगुने पानी के साथ लेने से पथरी जल्दी ही घुलकर निकल जाएगी।
3. जौं का सत्तू
जौ को गुर्दे की पथरी में रामबाण औषधि माना गया है, जिसे आप किसी भी रूप में सेवन कर सकतें हैंजैसे रोजाना 100 ml जौं की पत्तियों के रस का सेवन करें।
जौं के आटे की रोटियां खाएं या जौं के सत्तू का सेवन भी कर सकतें हैं।
रोजाना 200 ml जौं के सत्तू का सेवन करने से पथरी कुछ ही दिनों में घुलकर मूत्र के साथ आसानी सेबहार निकल जाती है।
4. नारियल का पानी
रोज़ाना हरे नारियल का पानी पियें, नारियल में पोटैशियम प्रचुर मात्र में पाया जाता है, जो पथरी कोबनने से रोकने में बहुत उपयोगी है।
5. निम्बू स्वरस
रोज़ सुबह खाली पेट एक निम्बू का रस एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से भी पथरी घुलकर मूत्र केसाथ बाहर निकल जाती है।
पथरी में ये खाएं
कुल्थी के अलावा खीरा, तरबूज के बीज, खरबूजे के बीज, चौलाई का साग, मूली, आंवला, अनन्नास,बथुआ, जौ, मूंग की दाल, गोखरु आदि खाएं। कुल्थी के सेवन के साथ दिन में 6 से 8 गिलास सादा पानीपीना, खासकर गुर्दे की बीमारियों में बहुत हितकारी सिद्ध होता है।
ये न खाएं
पालक, टमाटर, बैंगन, चावल, उड़द, लेसदार पदार्थ, सूखे मेवे, चॉकलेट, चाय, मद्यपान, मांसाहार आदि।मूत्र को रोकना नहीं चाहिए। लगातार एक घंटे से अधिक एक आसन पर न बैठें।